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खुशियाँ केवल स्वीकृति में ही मौजूद होती हैं।

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जब तक आप अपने को ख़ुशी से नहीं बचाते आप अपने को उदासी से भी नहीं बचा सकते।

अगर दो खुश रहने वाले व्यक्ति कंधे से कंधा मिलाकर एक साथ भगवान के खिलाफ खड़े हो जाए तो भगवान् भी उनके सामने असहाय हो जाता है।

जीवन भर केवल ख़ुशी एक जीवित मानव नही झेल सकता, यह ​धरती पर ​नर्क के समान होगा।​

अगर आप केवल मुस्कुराते हैं तो आप जान जाओगे कि ज़िन्दगी सच में मूलयवान है।

खुशियाँ मुश्किलों का अभाव नहीं बल्कि यह उनसे निपटने की योग्यता है।

अगर आप सफर में खुश नहीं हो तो आप मंज़िल पर पहुँच कर भी खुश नहीं हो सकते।

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ख़ुशी आंनद नहीं यह एक जीत है।

ख़ुशी वो विकल्प है जिसमे कभी कभी प्रयास की आवश्यकता होती है।

जब तक आप अपने को ख़ुशी से नहीं बचाते आप अपने को उदासी से भी नहीं बचा सकते।

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