प्रसन्त्ता ऐसी घटनाओ की निरंतरता है जिनका हम विरोध नहीं करते।
जैसे सूर्योदय के होते ही अंधकार दूर हो जाता है वैसे ही मन की प्रसन्नता से सारी बाधाएँ शांत हो जाती हैं।
सुख सर्वत्र मौजूद है, उसका स्त्रोत हमारे ह्रदयों में है।
खुशी ही जीवन का अर्थ और उद्देश्य है, और मानव अस्तित्व का लक्ष्य और मनोरथ।
हमारी खुशी का स्रोत हमारे ही भीतर है, यह स्रोत दूसरों के प्रति संवेदना से पनपता है।
आनंद वह खुशी है जिसके भोगनें पर पछतावा नहीं होता।
प्रसन्नचित्त मनुष्य अधिक जीते हैं।
इंसान जितना अपने मन को मना सके उतना खुश रह सकता है।
प्रसन्नता आत्मा को शांति देती है।
हंसी के क्षणों के बिना बीता दिन सबसे खराब दिन है।