
ज़रुरत तब तक अंधी होती है जब तक उसे होश न आ जाये, आज़ादी ज़रुरत की चेतना होती है|

आपके अलावा आपकी ख़ुशी का कोई इंचार्ज नहीं है।

व्यवसाय पर आधारित मित्रता, मित्रता पर आधारित व्यवसाय से बेहतर है|

अंत का जश्न मनाओ - क्योंकि वे नयी शुरुआत के ठीक पहले होते हैं।

ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों|

जो सभी का मित्र होता है वो किसी का मित्र नहीं होता है|

जो सभी का मित्र होता है वो किसी का मित्र नहीं होता है।

ये प्यार की कमी नहीं, बल्कि दोस्ती की कमी है जो शादियों को दुखदायी बनाती है।

मित्रता करने में धीमे रहिये, पर जब कर लीजिये तो उसे मजबूती से निभाइए और उसपर स्थिर रहिये।

हमारे जीवन का उद्देश्य प्रसन्न रहना है।