
अपने आप को खुश करने का सबसे बढ़िया तरीका है किसी दूसरे को खुश करने की कोशिश करना है।

मित्र वह होता है जब वह उस समय साथ निभाता है जब सारी दुनिया साथ छोड़ जाती है।

खुशियाँ केवल स्वीकृति में ही मौजूद होती हैं।

दोस्ती की मिठास में हास्य और खुशियों का बांटना होना चाहिए। क्योंकि छोटी -छोटी चीजों की ओस में दिल अपनी सुबह खोज लेता है और तरोताज़ा हो जाता है।

जब तक आप अपने को ख़ुशी से नहीं बचाते आप अपने को उदासी से भी नहीं बचा सकते।

मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।
सच्चे मित्र के सामने दुःख आधा और ख़ुशी दोगुनी महसूस होती है।
अगर दो खुश रहने वाले व्यक्ति कंधे से कंधा मिलाकर एक साथ भगवान के खिलाफ खड़े हो जाए तो भगवान् भी उनके सामने असहाय हो जाता है।

कभी भी अपने से कम या ज्यादा हैसियत वालों से दोस्ती मत करो, ऐसी दोस्ती कभी आपको ख़ुशी नहीं देगी।

अपने दोस्त के लिए जान दे देना इतना मुश्किल नहीं है जितना मुश्किल ऐसे दोस्त को ढूँढ़ना जिस पर जान दी जा सके।