खुशी का पहला उपाय - पुरानी बातों पर बहुत ज्यादा सोचने से बचें।

अगर आप की ख़ुशी इस बात पर निर्भर करती है कि दूसरे क्या करते हैं तो मुझे लगता है कि आप के साथ कोई दिक्कत है।

बुरे व्यक्ति पर क्रोध करने से पहले अपने पर ही क्रोध करना चाहिए।

खुशियाँ हमारे ऊपर ही निर्भर करती हैं।

किसी एक चीज़ में कुशल बनो आप बहुत खुश रहोगे।

आप जो अच्छा करते हैं वो खुशियों में योगदान देता है।

ख़ुशी अपने आप पर निर्भर करती है।

खुशियाँ समस्याओं का अभाव नहीं बल्कि यह उनसे निपटने की योग्यता है।

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हँसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है।

मित्रता शुद्धतम प्रेम है। ये प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहाँ कुछ भी नहीं माँगा जाता, कोई शर्त नहीं होती, जहाँ बस देने में आनंद आता है।

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