
दौलत से आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है।
धन तो वापस किया जा सकता है परंतु सहानुभूति के शब्द वे ऋण हैं जिसे चुकाना मनुष्य की शक्ति के बाहर है।

अगर सिर्फ वित्तीय कारणों की बात है तो पैसा गरीबी से बेहतर है।
पैसा गरीबी की तुलना से बेहतर है, अगर केवल वित्तीय कारणों के लिए हो।

खर्च करो कमाना खुद आ जाएगा
संपूर्ण जीवन का अनुभव ही धन है।
धन के भी पर होते है, कभी-कभी वे स्वयं उड़ते हैं और कभी-कभी अधिक धन लाने के लिए उन्हें उड़ाना पड़ता है।
जितने पैसे से एक व्यसन का निर्वाह होता है, उससे दो बच्चों की परवरिश हो सकती है।

सभी भुगतान युक्त नौकरियां दिमाग को अवशोषित और अयोग्य बनाती है।

अपनी आमदनी के अन्दर खर्च करो चाहे इसके लिये तुम्हें कर्ज ही क्यों न लेना पड़े।