सब कुछ ख़त्म हो जाने के बाद, आदमी का धर्म ही उसकी सबसे बड़ी संपत्ति होती है।

धन पूरी तरह से जीवन अनुभव करने का सामर्थ्य है।

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अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है।

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जिस आदमी को पैसे की संभाल नहीं करनी आती उसको बर्बाद करने का सबसे बढ़िया तरीका यह है कि उसे थोड़े पैसे दे दो।

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अगर आप अपना धन बर्बाद करते हैं तो सिर्फ आपका धन ही बर्बाद होगा, अगर आप अपना समय बर्बाद करेंगे तो आप अपनी ज़िंदगी का एक हिस्सा बर्बाद करेंगे।

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पैसा एक समाज के सदाचार का बैरोमीटर है।

बाज़ार के उतार-चढाव को अपना मित्र समझिये; दूसरों की मूर्खता से लाभ उठाइए, उसका हिस्सा मत बनिए।

पूंजीवादी समाज में पूंजी स्वतंत्र और व्यक्तिगत है, जबकि जीवित व्यक्ति आश्रित है और उसकी कोई वयक्तिकता नहीं है।

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बैंक ऐसी जगह है जो आपको पैसा उधर दे सकती है अगर आप यह साबित कर दें कि आपको इसकी ज़रूरत नहीं है।

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छोटे-छोटे खर्चों से सावधान रहिये। एक छोटा सा छेद बड़े से जहाज़ को डूबा सकता है।

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