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एक व्यस्त माँ अपनी बेटियों को आलसी बनाती है।

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कई बच्चे हज़ारों मील दूर बैठे भी माता-पिता से दूर नहीं होते और कई घर में साथ रहते हुई भी हज़ारों मील दूर होते है।

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​आपके बच्चे आपके नहीं हैं। वे जीवन की खुद के प्रति लालसा के पुत्र-पुत्रियाँ हैं। वे आपके द्वारा आये पर आपसे नहीं आये और हालांकि वो आपके साथ हैं पर फिर भी आपके नहीं है।

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कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और रुआब दिखाने से नहीं।

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दूसरी चीजें बदल सकती है, लेकिन हमारी शुरुआत और अंत परिवार पर ही होता है। ​ ​​

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मेरे पिता बहुत तेज, भावुक और शीर्ष पर थे, वह मेरे हीरो और मेरे तानाशाह दोनों ही थे।

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मेरी जिंदगी के कुछ सबसे खूबसूरत पल वो थे जो मैंने अपने फले-फूले परिवार ​ के साथ बिताए है।

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मैं बिलकुल अपने पिताजी के जैसे बढ़ना चाहता था।

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मेरे पढ़ाई के दिनों में भी मेरे पिताजी से बेहतर अध्यापक मेरे लिए कभी भी कोई भी नहीं रह सका।

एक नवजात शिशु भगवान् की राय है कि संसार को आगे बढ़ते रहना चाहिए।

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