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यूँ ही नहीं होती हाथ की लकीरों के आगे उँगलियाँ;
रब ने भी किस्मत से पहले मेहनत लिखी है!

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सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं;
जिस को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं!

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हम लोग भी कितने अजीब हैं;
निशानियाँ महफ़ूज़ रखते हैं, और लोगों को खो देते हैं!