sms

तेरी बख़्शिश के भरोसे पे ख़ताएँ की हैं;
तेरी रहमत के सहारे ने गुनहगार किया!

sms

यही है ज़िंदगी अपनी यही है बंदगी अपनी;
कि उन का नाम आया और गर्दन झुक गयी अपनी!

sms

रहने दे अपनी बंदगी ज़ाहिद;
बे-मोहब्बत ख़ुदा नहीं मिलता!

sms

मेरे गुनाह ज़्यादा हैं या तेरी रहमत;
करीम तू ही बता दे हिसाब कर के मुझे!

sms

गुनाह गिन के मैं क्यों अपने दिल को छोटा करूँ;
सुना है तेरे करम का कोई हिसाब नहीं!

sms

हज़ार बार जो माँगा करो तो क्या हासिल;
दुआ वही है जो दिल से कभी निकलती है!

sms

बिना देखे तुझे अपना बना कर देख लेता हूँ;
मैं तेरे आस्ताँ पर सर झुका कर देख लेता हूँ!

sms

ख़ुदा को भूले न जब तक हमें ख़ुदा न मिला;
ये मुद्दआ' भी ब-जुज़ तर्क-ए-मुद्दआ न मिला!

sms

जब फैसला आसमान वाले का होता है;
तब कोई वकालत ज़मीन वाले की नही होती है!

sms

मेरी हैसीयत से ज्यादा मेरी थाली मे तूने परोसा है;
तू लाख मुश्किलें भी दे दे मालिक, मुझे तुझपे भरोसा है!