अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें,

जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

हमारे बाद अब महफ़िल में अफ़साने बयां होंगे;
बहारें हमको ढूँढेंगी न जाने हम कहाँ होंगे..!

मैं मुद्दतों जिया हूँ किसी दोस्त के बग़ैर;
अब तुम भी साथ छोड़ने को कह रहे हो ख़ैर!

उसको चाहा भी तो इज़हार ना करना आया;
कट गई उम्र हमे प्यार न करना आया!
उसने माँगा भी तो हमसे जुदाई मांगी;
और हम थे कि हमें इंकार ना करना आया..!!

तेरी मुश्किल ना बढ़ाऊंगा चला जाऊंगा;
अश्क आंखों में छुपाऊंगा चला जाऊंगा!
अपनी दहलीज़ पर कुछ देर पड़ा रहने दे;
जैसे ही होश में आऊंगा चला जाऊंगा!
ख़्वाब लेने कोई आए के न आए कोई;
मैं तो आवाज़ लगाऊंगा चला जाऊंगा!
उन मेह्ल्लात से कुछ भी नही लेना मुझको;
बस तुम्हे देखने आऊंगा चला जाऊंगा!

तन्हाई में फ़रयाद तो कर सकता हूँ;
वीराने को आबाद तो कर सकता हूँ|
मैं जब चाहूँ आपसे मिल नही सकता;
पर जब चाहूँ आपको याद तो कर सकता हूँ|

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ख़ुदा के वास्ते गुल को न मेरे हाथ से लो;
मुझे बू आती है इस में किसी बदन की सी!

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यूँ लगे दोस्त तेरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना;
जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना!

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तुझ से बिछड़ना कोई नया हादसा नहीं;
ऐसे हज़ारों क़िस्से हमारी ख़बर में हैं!

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क़ुर्बतें लाख ख़ूबसूरत हों;
दूरियों में भी दिलकशी है अभी!