गुरु जी ने सिखाया था कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं! मगर जब पत्नी ने खाना परोसकर पूछा, "कैसा बना है?" उस समय सत्य परेशान भी हुआ और पराजित भी!
पति के घर से बाहर निकलते ही पत्नी बोली, "भगवान के हाथ जोड़कर घर से निकला करो, सारे काम अच्छे होंगे!" पति: मैं नहीं मानता, शादी वाले दिन भी हाथ जोड़कर ही निकला था!
कुछ लोग धन के नाम पर लड़ते हैं तो कुछ जाति और धर्म के नाम पर! सिर्फ पति-पत्नी ही हैं जो निस्वार्थ भाव से बेवजह लड़ते हैं!
बीवियाँ कितना भी 'बादाम' खा लें!
'पिस्ता' पति ही है!
कितना मिलता जुलता नाम है - गुमशुदा और शादीशुदा!
गुमशुदा घर से गुम हो जाते हैं!
शादीशुदा घर में ही गुम हो जाते हैं!
घर में पति के विचार को उतनी ही जगह मिलती है जितनी खाने की थाली में रखे हुए आचार को!
कोई भी पति, अपनी पत्नी को खुश तो रख सकता है लेकिन... चुप नहीं रख सकता!
चायपत्ती और पति में क्या समानता है? दोनों के भाग्य में जलना और उबलना ही लिखा है!
पत्नी: आप मुझे बार-बार सॉरी मत बोला करो! पति: क्यों? पत्नी: क्योंकि मेरा लड़ने का सारा मूड ख़राब हो जाता है!
पत्नी: मुझे समझदार आदमी से शादी करनी चाहिए थी! पति: समझदार आदमी कभी शादी नहीं करेगा। पत्नी: बस! मुझे बस इतना ही साबित करना था!