मैं देखता हूँ जब मर्द औरत से प्यार करता है। वो अपनी ज़िन्दगी का बहुत छोटा हिस्सा देता है। पर जब औरत प्यार करती है वो सबकुछ दे देती है। |
महत्त्वाकांक्षा वो बीज है जिससे सज्जनता का विकास होता है। |
व्यक्ति जब अपने को सामने रखकर बात कर ता है तब वो सबसे कम वास्तविक होता है। उसे एक मुखौटा दे दीजिये, और वो सच बोलेगा। |
औरतें कभी प्रशंशा द्वारा वश में नहीं होतीं। मर्द हमेशा हो जाते हैं। दोनों के बीच यही अंतर है। |
महत्त्वाकांक्षा विफलता की अंतिम शरण है। |
सभी महिलाएं अपनी माँ की तरह बन जाती हैं। यह उनकी त्रासदी है। कोई पुरुष नहीं बनता। यह उसकी त्रासदी है। |
तज़ुर्बा एक ऐसी चीज है जिसे आप बिना कुछ किये नहीं पा सकते। |
अच्छे प्रण महज लोगों द्वारा काटे हुए ऐसे बैंको के चेक हैं जहाँ उनका खाता नहीं है। |
सच्चे दोस्त सामने से छुरा भोंकते हैं। |
जीना दुनिया की सबसे नायाब चीज है। ज्यादातर लोग बस मौजूद रहते हैं। |