जिस तरह फूल पौधों के उचित विकास के लिए समय समय पर काट छांट ज़रूरी है ठीक उसी तरह बच्चों को उचित बात सिखाने के लिए समय समय पर डांट ज़रूरी है। |
हिंदी हमारी मातृभाषा है, हमारा गर्व है, लेकिन क्या करें-दूर के ढोल सुहाने लगते हैं और उस ढोल पर चाल (स्टाइल) बदल जाती है। |
जहाँ सारे तर्क ख़त्म हो जाते हैं, वहाँ से आध्यात्म शुरू होता है। |