मैं हर एक वस्तु में हूँ और उससे परे भी, मैं सभी रिक्त स्थान को भरता हूँ! |
अपने गुरु में पूर्ण रूप से विश्वास करें। यही साधना है। |
मैं हर एक वस्तु में हूँ और उससे परे भी, मैं सभी रिक्त स्थान को भरता हूँ| |
मैं निराकार हूँ और सर्वत्र हूँ| |
यदि कोई सिर्फ और सिर्फ मुझको देखता है और मेरी लीलाओं को सुनता है और खुद को सिर्फ मुझमें समर्पित करता है तो वह भगवान तक पंहुच जायेगा| |
यदि कोई सिर्फ और सिर्फ मुझको देखता है और मेरी लीलाओं को सुनता है और खुद को सिर्फ मुझमें समर्पित करता है तो वह भगवान तक पंहुच जायेगा| |
अपने गुरु में पूर्ण रूप से विश्वास करें, यही साधना है! |
यदि तुम मुझे अपने विचारों और उद्देश्य की एकमात्र वस्तु रखोगे, तो तुम सर्वोच्च लक्ष्य प्राप्त करोगे। |
कर्म की उत्पत्ति विचार में है, अतः विचार ही महत्वपूर्ण है। |
एक पवित्र दिल से निकला हुआ पवित्र विचार, एक मंत्र से ज्यादा प्रभावशाली होता है। |