शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को; मैं देखता रहा दरिया तेरी रवानी को! |
जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने; इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने! |
कौन सी बात है जो उस में नहीं, उस को देखे मेरी नज़र से कोई। |
जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने; इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने। |