न कोई किसी का मित्र है और न कोई किसी का शत्रु। स्वार्थ से ही मित्र और शत्रु एक-दूसरे से बंधे हुए है। |
सच्चे मित्र के तीन लक्षण हैं- अहित को रोकना, हित की रक्षा करना और विपत्ति में साथ नहीं छोड़ना| |
दोस्त वह है, जो आपको अपनी तरह जीने की पूरी आजादी दे| |
हे भगवान मेरी सहायता करो, क्योंकि एक दिन मेरे और मेरी बहन के बीच में कोई और व्यक्ति आ जाएगा। |
मेरे दोस्त मुझमें घुलने-मिलने की समस्या बताते है, लेकिन वे सच में मुझे जानते ही नहीं। |
एक भाई भगवान का दिया हुआ दोस्त है, और एक दोस्त आपके हृदय का चुना हुआ भाई है। |
उस दोस्त की इज्जत करो, जो अपने काम में से समय निकाल कर आपको समय दे, लेकिन दोस्त से प्रेम करो जो आपके लिए अपने काम ही छोड़ दे। |
प्रेम करने वाला पड़ोसी दूर रहने वाले भाई से कहीं उत्तम है। |
मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो। |
जीवन में ज्यादा रिश्ते होना जरुरी नहीं हैं बल्कि, रिश्तों में जान होनी जरुरी है। |