क्रोध वह हवा है जो बुद्धि के दीप को बुझा देती है! |
प्रसन्नता कोई पहले से निर्मित वास्तु नहीं है; वो आपके कर्मो से आती है! |
मित्र वो होता है जो आपको जाने और आपको उसी रूप में चाहे! |
क्रोध एक तरह का पागलपन है! |
एक अच्छी मुस्कुराहट बहुत से घाव भर देती है! |
जो लोग दूसरों को आजादी नहीं देते उन्हें खुद भी इसका हक नहीं होता! |
जो सबका मित्र होता है वो किसी का मित्र नहीं होता है! |
प्रसन्नता कोई पहले से निर्मित वास्तु नहीं है! वो आपके कर्मो से आती है! |
एक क्रोधित व्यक्ति अपना मुंह खोल लेता है और आँख बंद कर लेता है! |
प्रसन्नता ऐसी घटनाओ की निरंतरता है जिनका हम विरोध नहीं करते! |