छोटी सी बात पे लोग रूठ जाते हैं; हाथ उनसे अनजाने में छूट जाते हैं; कहते हैं बड़ा नाज़ुक है अपनेपन का यह रिश्ता; इसमें हँसते-हँसते भी दिल टूट जाते हैं। |
कहा ये किसी ने कि फूलों से दिल लगाऊं मैं; अगर तेरा ख्याल न सोचूं तो मर जाऊं मैं; माँग ना मुझसे तू हिसाब मेरी मोहब्बत का; आ जाऊं इम्तिहान पे तो हद से गुज़र जाऊं मैं। |
आज कुछ कमी सी है तेरे बगैर; ना रंग ना रौशनी है तेरे बगैर; वक़्त अपनी रफ़्तार से चल रहा है; बस धड़कन थम सी गयी है तेरे बगैर। |
मेरी आँखें तेरे दीदार को तरसती हैं; मेरी नस-नस तेरे प्यार को तरसती हैं; तू ही बता दे कि तुझे बताएं कैसे; कि मेरी रूह तक तेरी याद में तड़पती है। |
कोई गिला कोई शिकवा ना रहे आपसे; यह आरज़ू है कि सिलसिला रहे आपसे; बस इस बात की बड़ी उम्मीद है आपसे; खफा ना होना अगर हम खफा रहें आपसे। |
आँखें भी मेरी पलकों से सवाल करती हैं; हर वक़्त आपको ही बस याद करती हैं; जब तक ना कर लें दीदार आपका; तब तक वो आपका इंतज़ार करती हैं। |
रिश्तों से बड़ी चाहत क्या होगी; दोस्ती से बड़ी इबादत क्या होगी; जिसे दोस्त मिल सके कोई आप जैसा; उसे ज़िंदगी से कोई और शिकायत क्या होगी। |
कभी ना गिरना कमाल नहीं; बल्कि गिरकर संभल जाना कमाल है; किसी को पा लेना मोहब्बत नहीं; बल्कि किसी के दिल में जगह बनाना कमाल है। |
रिश्तों की ही दुनिया में अक्सर ऐसा होता है; दिल से इन्हें निभाने वाला ही अक्सर रोता है; झुकना पड़े तो झुक जाना अपनों के लिए; क्योंकि हर रिश्ता एक नाज़ुक समझौता होता है। |
देख ज़रा नाराज़ है कोई शख्स तेरे जाने से; हो सके तो लौट आ किसी बहाने से; तू लाख ख़फ़ा सही पर एक बार तो देख; कोई टूट गया है तेरे दूर जाने से। |