तू ही बता दिल कि तुम्हें समझाऊं कैसे; जिसे चाहता है तू उसे नज़दीक लाऊँ कैसे; यूँ तो हर तमन्ना हर एहसास है वो मेरा; मगर उस एहसास को ये एहसास दिलाऊं कैसे। |
दो अक्षर की 'मौत' और तीन अक्षर के 'जीवन' में, ढाई अक्षर का 'दोस्त' - हमेंशा बाज़ी मार जाता हैं! |
बिन आपके कुछ भी अच्छा नहीं लगता; अब मेरा वजूद भी सच्चा नहीं लगता; सिर्फ आपके इंतज़ार में कट रही है ये ज़िंदगी; वरना अब तक तो मौत के आगोश में सो जाती ये ज़िंदगी। |
दिल की धड़कन को, एक लम्हा सबर नहीं; शायद उसको अब मेरी ज़रा भी कदर नहीं; हर सफर में मेरा कभी हमसफ़र था वो; अब सफर तो है मगर वो हमसफ़र नहीं। |
वो करते हैं बात इश्क़ की; पर इश्क़ के दर्द का उन्हें एहसास नहीं; इश्क़ वो चाँद है जो दिखता तो है सबको; पर उसे पाना सब के बस की बात नहीं। |
दोस्ती सुख और दुःख की पहचान होती है; दोस्ती दिल का सुकून और होठों की मुस्कान होती है; अगर रूठ भी गए हो तुम तो मनायेंगे हम; क्योंकि रूठना और मनाना ही दोस्ती की शान होती है। |
बिगड़ी हुई ज़िंदगी की बस इतनी सी कहानी है; कुछ बचपन से ही हम लोफर थे; बाकी कुछ आप जैसे दोस्तों की मेहरबानी है। |
तेरे हाथ की मैं वो लकीर बन जाऊं; सिर्फ मैं ही तेरा मुकद्दर तेरी तक़दीर बन जाऊं; इतना चाहूँ मैं तुम्हें कि तू हर रिश्ता भूल जाये; और सिर्फ मैं ही तेरे हर रिश्ते की तस्वीर बन जाऊं। |
लम्हा-लम्हा इंतज़ार किया उस लम्हे के लिए; और वो लम्हा आया भी तो बस एक लम्हे के लिए; गुज़ारिश है यह खुदा से कि काश; वो लम्हा फिर से मिल जाये बस एक लम्हे के लिए। |
इस कदर हमारा इम्तिहान मत लीजिये; क्यों हो गए हो ख़फ़ा ये बयां तो कीजिये; कर दीजिये माफ़ अगर हो गयी है कोई खता हमसे; यूँ मुँह फेर कर हमसे हमें सज़ा तो मत दीजिये। |