कर्मों का बही खाता भी दुरस्त रखिये जनाब; एक दिन इसका भी मार्च आएगा; लेकिन फिर अप्रैल नहीं आयेगा! |
फिर मेरे हिस्से आएगा समझौता कोई; आज फिर कोई कह रहा था, समझदार हों तुम! |
किसी भी क्लास में नहीं पढ़ाया जाता कि हमें कैसे बोलना चाहिए! लेकिन जैसे हम बोलते हैं वहीँ से पता चल जाता है कि हम किस क्लास के हैं! |
सब कुछ महंगा हो गया लेकिन माचिस आज भी एक रूपये पर रुकी हुई है! क्योंकि आग लगाने वाले की कभी कीमत नहीं बढ़ती! |
संस्कार इसलिए भी कम हो गए हैं बच्चों में... क्योंकि पहले बुजुर्गों से सीखते थे, अब गूगल से सीखते हैं! |
लड़कियां तब तक ही दहेज़ विरोधी होती हैं जब तक वो सास नहीं बन जाती! |
एक बात तो समझ आ गयी कि हम 100% डाटा इस्तेमाल नहीं कर रहे! डाटा हमें 100% इस्तेमाल कर रहा है! |
हमारा देश एक मात्र ऐसा देश है जहाँ हर इंसान को लगता है कि उसकी ही ज़िन्दगी झंड है! बाकी सब लोग तो रसमलाई खा रहे हैं! |
जब कोई अपनी कीमत ना समझे तो समझ लीजिये कि कबाड़ी को कभी हीरे की परख नहीं होती, मस्त रहिये स्वस्थ रहिये! |
विरासत में गद्दी तो मिल सकती है लेकिन बुद्धि नहीं! |