'सुबह' के "फूल खिल" गए; 'पंछी' अपने 'सफ़र' पे 'उड़' गए; 'सूरज' आते ही 'तारे' भी 'छुप' गए; क्या आप अपनी "मीठी नींद" से "उठ गए?" सुप्रभात! |
कल की हसीन मुलाक़ात के लिए; आज रात के लिए; हम तुम जुदा हो जाते हैं; अच्छा चलो सो जाते हैं। शुभ रात्रि! |
आज का दिन आपको हर वो ख़ुशी दे; जिसकी आप खुदा से उम्मीद रखते हो। सुप्रभात! |
दीपक में अगर नूर ना होता; तन्हा दिल ये मजबूर ना होता; हम आपको "गुड नाईट" कहने जरूर आते; अगर आपका 'बंगला' इतना दूर ना होता। शुभ रात्रि! |
रब ना करे कभी तुम्हें खुशियों की कमी हो; तुम्हारे क़दमों के नीचे फूलों की जमीं हो; आंसू ना हो तुम्हारी आँखों में कभी; अगर हो तो वो खुशियों की नमी हो। सालगिरह मुबारक हो! |
जन्मदिन है आपका सोचता हूँ उपहार क्या दूँ; सोचता हूँ इस वर्ष नया खिताब क्या दूँ; गुलाब से बढ़कर कोई फूल होता तो देता जरूर; मगर जो गुलाब है उसे गुलाब भी क्या दूँ। जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं! |
कभी सुबह सुहानी होगी; जब रात आपकी दीवानी होगी; खूब मिलेंगे दुनिया की राहों में; जो हमसे आपकी कहानी होगी। सुप्रभात! |
काश कि तू देख सकता रात के इस पहरे में मुझको; कितनी बे-दर्दी से तेरी याद मेरी नींद चुरा लेती है। शुभ रात्रि! |
तूफ़ान में कश्ती को किनारे भी मिल जाते हैं; जहाँ में लोगों को सहारे भी मिल जाते हैं; दुनिया में सबसे प्यारी है जिंदगी; कुछ लोग जिंदगी से प्यारे भी मिल जाते हैं। हैप्पी एनिवर्सरी! |
उठकर देखिये सुबह का 'नजारा;' हवा भी है ठंडी और मौसम भी है प्यारा; सो गया चाँद और छुप गया हर एक सितारा; "क़बूल हो आपको" सलाम-ए-सुबह हमारा। सुप्रभात! |