वृक्ष, सरोवर, सज्जन और मेघ-ये चारों परमार्थ हेतु देह धारण करते हैं। |
जब घर में धन और नाव में पानी आने लगे, तो उसे दोनों हाथों से निकालें। ऐसा करने में बुद्धिमानी है, हमें धन की अधिकता सुखी नहीं बनाती। |
पोथी पढ़ि - पढ़ि जग मुआ, पंडित हुआ न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़ै सो पण्डित होय। |