अब दिल्ली दिल वालों की नहीं, मज़बूत फेफड़ों वालों की रह गयी है! |
कोरोना का तो पता नहीं पर जिस हिसाब से मोबाइल चला रहे हैं अंधे ज़रूर हो जायेंगे! |
आजकल इतनी भाप ले रहे हैं कि मोमोज़ को भी मुँह के अंदर रखकर पका सकते हैं! |
लॉकडाउन में नींद का समय इतना बढ़ गया है कि अब तो सपने भी रिपीट होने शुरू हो रहे हैं! |
मुझे तो 7 साल हो गए 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' देखते देखते मगर आज तक ये पता नहीं चला कि 'आत्माराम तुकाराम भिड़े' टीचर किस सब्जेक्ट का है? |
लॉकडाउन में पड़े-पड़े पुरानी बातें इतनी याद आ रही हैं, ऐसा ही चलता रहा तो कहीं पिछला जन्म भी याद ना आ जाये! |
खुद की बीवी चाँदी, दूसरे की बीवी सोना; खुद की खाँसी, खाँसी और दूसरे की खाँसी कोरोना! |
आज पापा ने कहा बेटा Facebook के अलावा भी एक दुनिया है! मैंने कहा लिंक भेज दीजिये, अभी ज्वाइन कर लेता हूँ! अब इतनी सी बात पर पीटने की क्या ज़रूरत थी! |
सुख क्या है? बुखार नहीं, खाँसी नहीं, सर्दी नहीं और ऑक्सीजन लेवल 95% से ऊपर है! मुँह में स्वाद भी है और खुशबू भी ले सकते हैं! आजकल तो यही सुख है! |
दुकानदार शटर गिरा कर सामान बेच रहा था! बाहर से आवाज़ आयी, "सरसों का तेल है?" दुकानदार: हाँ, है! पुलिस: अच्छे से मालिश कर के बाहर आ जा! |