क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात कहने के बजाय दूसरों के ह्रदय को ज्यादा दुखाता है। |
क्रोध वह तेज़ाब है जो किसी भी चीज जिसपर वह डाला जाये, से ज्यादा उस पात्र को अधिक हानि पहुंचा सकता है जिसमें वह रखा है। |
जो खुद को माफ़ नहीं कर सकता वो कितना अप्रसन्न है। |
खुशियों को दामन में भरने पर वह थोड़ी सी लगती हैं, लेकिन यदि उन्हें बांटा जाये तो वे और ज्यादा बड़ी नजर आती हैं। |
प्रसन्नता वो पुरस्कार है जो हमें हमारी समझ के अनुरूप सबसे सही जीवन जीने पे मिलता है। |
आपके जीवन की प्रसन्नता आपके विचारों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। |
पुराने दोस्त होने का एक फायदा ये है कि आप उनके साथ मूर्खतापूर्ण होना वहन कर सकते हैं। |
सच्चे दोस्त सामने से छुरा भोंकते हैं। |
क्रोध के कारण की तुलना में उसके परिणाम कितने गंभीर होते हैं! |
प्रसन्नता हम पर ही निर्भर करती है। |