रिश्तों से बड़ी चाहत क्या होगी; दोस्ती से बड़ी इबादत क्या होगी; जिसे दोस्त मिल सके कोई आप जैसा; उसे ज़िंदगी से कोई और शिकायत क्या होगी। |
कभी ना गिरना कमाल नहीं; बल्कि गिरकर संभल जाना कमाल है; किसी को पा लेना मोहब्बत नहीं; बल्कि किसी के दिल में जगह बनाना कमाल है। |
रिश्तों की ही दुनिया में अक्सर ऐसा होता है; दिल से इन्हें निभाने वाला ही अक्सर रोता है; झुकना पड़े तो झुक जाना अपनों के लिए; क्योंकि हर रिश्ता एक नाज़ुक समझौता होता है। |
देख ज़रा नाराज़ है कोई शख्स तेरे जाने से; हो सके तो लौट आ किसी बहाने से; तू लाख ख़फ़ा सही पर एक बार तो देख; कोई टूट गया है तेरे दूर जाने से। |
इंतज़ार तो बहुत था हमें; लेकिन आये ना वो कभी; हम तो बिन बुलाये ही आ जाते; अगर होता उन्हें भी इंतज़ार कभी। |
रिश्तों का विश्वास टूट ना जाये; दोस्ती का साथ कभी छूट ना जाये; ऐ खुदा गलती करने से पहले संभाल लेना मुझे; कहीं मेरी गलती से मेरा कोई अपना रूठ ना जाये। |
यादें अक्सर होती हैं सताने के लिए; कोई रूठ जाता है फिर मान जाने के लिए; रिश्ते निभाना कोई मुश्किल तो नहीं; बस दिलों में प्यार चाहिए उसे निभाने के लिए। |
काश उसे चाहने का अरमान ना होता; मैं होश में रहते हुए अनजान ना होता; ना प्यार होता किसी पत्थर दिल से हम को; या फिर कोई पत्थर दिल इंसान ना होता। |
लोग रूप देखते हैं, हम दिल देखते हैं; लोग सपना देखते हैं, हम हकीकत देखते हैं; बस फर्क इतना है कि लोग दुनिया में दोस्त देखते हैं; हम दोस्तों में दुनिया देखते हैं। |
उन हसीन पलों को याद कर रहे थे; आसमान से आपकी बात कर रहे थे; सुकून मिला जब हमें हवाओं ने बताया; आप भी हमें याद कर रहे थे। |