सितम को हमने बेरुखी समझा; प्यार को हमने बंदगी समझा; तुम चाहे हमे जो भी समझो; हमने तो तुम्हे अपनी ज़िंदगी समझा। |
कुछ दोस्त ज़िन्दगी में इस तरह शामिल हो जाते हैं; अगर भुलाना चाहो तो और याद आते हैं; बस जाते हैं वो दिल में इस तरह कि; आँखे बंद करो तो भी वो सामने नज़र आते हैं। |
इस दुनिया में दोस्त कम मिलेंगे; ज़िंदगी के हर मोड़ पे गम ही गम मिलेंगे; जहाँ दुनिया अपनी नज़र चुरा ले तुमसे; उसी मोड़ पे दोस्त खड़े हम मिलेंगे। |
तमाम उम्र ज़िंदगी से दूर रहें आपकी; ख़ुशी के लिए अपनी ख़ुशी से दूर रहें; अब इससे बढ़कर वफ़ा की सज़ा क्या होगी; कि आपके होकर भी आपसे दूर रहे। |
कोई मिलता ही नहीं हमसे हमारा बनकर; वो मिले भी तो एक किनारा बनकर; हर ख्वाब टूट के बिखरा काँच की तरह; बस एक इंतज़ार है साथ सहारा बनकर। |
बड़ी मुश्किल में हूँ कैसे इज़हार करूँ; वो तो खुशबु है उसे कैसे गिरफ्तार करूँ; उसकी मोहब्बत पर मेरा हक़ नहीं लेकिन; दिल चाहता है आखिरी सांस तक उसका इंतज़ार करूँ। |
लगे न नज़र इस रिश्ते को ज़माने की; पड़े न ज़रुरत कभी एक-दूजे को मनाने की; छोड़ना न कभी आप हमारा ये साथ; तमन्ना हमारी भी है इसे मौत तक निभाने की। |
आसमान से उतारी है, तारों से सजाई है; चाँद की चाँदनी से नहलायी है; ऐ दोस्त, संभाल कर रखना ये दोस्ती; यही तो हमारी ज़िंदगी भर की कमाई है। |
कभी दिल को कभी शमा को जला कर रोये; तेरी याद को दिल से लगा कर हम रोये; रात की गोद में जब सो गयी सारी दुनिया; चाँद को तेरी तस्वीर बना कर हम रोये। |
भूल से कोई भूल हुई तो भूल समझ कर भूल जाना; पर भूलना सिर्फ भूल को; भूल से भी हमें ना भुला जाना। |