तन्हाई जब मुक़द्दर में लिखी है; तो क्या शिकायत अपनों और बेगानों से; हम मिट गए जिनकी चाहत में; वो बाज ना आए हमे आज़माने से। |
रिश्ते हमेशा तितली जैसे होते हैं; जोर से पकड़ो तो मर जाते हैं; छोड़ दो तो उड़ जाते हैं; अगर प्यार से पकड़ो तो अपना रंग छोड़ जाते हैं। |
यार दोस्त जब भी बुलाते सदा वो फंसता था; खर्चा भी करता था हरदम फिर भी हंसता था; जब भी मिलता मुस्कुराता और हर्षाता था; सुखा सुखा लगता है अब, तब बादल सा बरसता था; लगता है के अंग्रेजी पतलून अब खादी हो गई है; जी हाँ आप सही समझे उसकी शादी हो गई है। |
तूफ़ान में बिखरते चले गए; तन्हाई की गहराईयों में उतरते चले गए; जन्नत थी हर शाम जिन दोस्तों के साथ; एक-एक कर सब दूर होते चले गए। |
हम खुद पर गुरुर नहीं करते; किसी को दोस्ती करने पर मज़बूर नहीं करते; मगर जिसे एक बार दिल में बसा लें; उसे मरते दम तक दिल से दूर नहीं करते। |
कैसा वक़्त है यह, उसे फुर्सत नहीं मुझे याद करने की; कभी वो शख्स मेरी ही सांसों से जिया करता था। |
हम वो नहीं जो दिल तोड़ देंगे; थाम कर हाथ साथ छोड़ देंगे; हम दोस्ती करते हैं पानी और मछली की तरह; जुदा करना भी चाहो तो हम दम तोड़ देंगे। |
हम अपना दर्द किसी को कहते नही; वो सोचते हैं कि हम तन्हाई सहते नहीं; आँखों से आँसू निकले भी तो कैसे; क्योंकि सूखे हुए दरिया कभी बहते नहीं। |
कभी ज़िंदगी में ऐसी शाम तो आए; बेचैन सी इन सांसो को आराम तो आए; ना रह जाएगी कोई रज़ा फिर उस खुदा से दोस्तो; इकरार का उनका कोई पैगाम तो आए। |
एक प्यारा सा दिल जो कभी नफरत नहीं करता; एक मुस्कुराहट जो फीकी नहीं पड़ती; एक एहसास जो कभी दुःख नहीं देता; एक रिश्ता जो कभी ख़त्म नहीं होता। |