सप्ताह में सात वार होते हैं;
और आठवाँ वार है 'परिवार'।
अगर आपका आठवाँ वार ठीक रहेगा तो सातों वार सुखद रहेंगे।

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ज़िंदगी की इस कश्मकश में वैसे तो मै भी बहुत उलझा हूँ, लेकिन वक़्त का बहाना बना कर अपनों को भूल जाना मुझे आज भी नही आता।

क्या फ़र्क है दोस्ती और मोहब्बत में, रहते तो दोनों दिल में ही हैं लेकिन फ़र्क तो है;
बरसों बाद मिलने पर दोस्ती सीने से लगा लेती है, और मोहब्बत नज़र चुरा लेती है।

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कुछ लोग यादों को दिल की तस्वीर बनाते हैं;
दोस्तों की यादों में महफ़िल सजाते हैं;
हम थोड़े अलग हैं;
जो किसी की याद आने से पहले उनको अपनी याद दिलाते हैं।

मशहूर होना पर मगरूर न होना;
कामयाबी के नशे में चूर न होना;
मिल जाए सारी कायनात आपको, मगर इसके लिए;
अपनों से कभी दूर न होना!

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दूर हो जाने से रिश्ते नहीं टूटते;
ना ही सिर्फ पास रहने से जुड़ते;
यह तो दिलों के बंधन हैं;
इसीलिए हम तुम्हें और तुम हमें नहीं भूलते।

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तुम आए ज़िंदगी में कहानी बनकर;
तुम आए ज़िंदगी में रात कि चाँदनी बन कर;
बसा लेते हैं जिन्हें हम आँखों में;
वो अक्सर निकल जाते हैं आँखों से पानी बनकर।

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जिंदगी में कुछ दोस्त खास बन गये;
मिले तो मुलाकात और बिछड़े तो याद बन गये;
कुछ दोस्त धीरे-धीरे फिसलते चले गये;
पर जो दिल से ना गये वो आप बन गये।

आपका रिश्ता मेरे सुरों का साज़ है;
आप जैसे अपनों पर हमें नाज़ है;
चाहे कुछ भी हो जाये जिंदगी में;
ये रिश्ता कल भी वैसा ही रहेगा जैसा आज है।

प्यार करने वालों की किस्मत ख़राब होती है;
हर वक़्त दुःख की घड़ी साथ होती है;
वक़्त मिले तो रिश्तों की किताब पढ़ लेना;
दोस्ती हर रिश्ते से लाज़वाब होती है।