
महक होती तो तितलियाँ जरूर आती;
कोई रोता तो सिसकियाँ जरूर आती;
कहने को तो लोग मुझे बहुत याद करते हैं;
मगर याद करते तो हिचकियाँ जरूर आती।
हाथ पढ़ने वाले ने तो परेशानी में डाल दिया मुझे;
लकीरें देख कर बोला, "तु मौत से नहीं, किसी की
.
..
...
याद में मरेगी"।

लम्हों का हिसाब रखते हो;
जिंदगी की हसीं किताब रखते हो;
फुर्सत मिले तो लिखना कभी;
क्या मुझे दिल से याद करते हो।
जब याद तुम्हारी आती है;
पल-पल मुझको तड़पाती है;
तुम नाम वहां पर लेती हो;
लेकिन आवाज यहाँ तक आती है।
यादों की किम्मत वो क्या जाने;
जो ख़ुद यादों के मिटा दिया करते हैं;
यादों का मतलब तो उनसे पूछो जो;
यादों के सहारे जिया करते हैं।
अगर फुर्सत के लम्हों में मुझे याद करते हो तो मुझे याद मत करना;
मैं तनहा ज़रूर हूँ मगर फ़जूल नहीं।

हँसना और हँसाना कोशिश है मेरी;
हर कोई खुश रहे, यह चाहत है मेरी;
भले ही मुझे कोई याद करे या ना करे;
लेकिन हर अपने को याद करना आदत है मेरी!

आप भुलाकर देखो, हम फिर भी याद आएंगे;
आपके चाहने वालों में;
आपको हम ही नज़र आएंगे;
आप पानी पी-पी के थक जाओगे;
पर हम हिचकी बनकर याद आएंगे!

तुझे भूलने की कोशिशें कभी कामयाब न हो सकें;
तेरी याद शाख-ऐ-गुलाब है, जो हवा चली तो महक गई!

हम तुमसे दूर कैसे रह पाते;
दिल से तुमको कैसे भूल पाते;
काश तुम आईने में बसे होते;
ख़ुद को देखते तो तुम नज़र आते!