तमन्ना से नहीं तनहाई से डरते हैं;
प्यार से नहीं रुसवाई से डरते हैं;
मिलने की तो बहुत चाहत है;
पर मिलने के बाद जुदाई से डरते हैं।

कोई रास्ता नहीं दुआ के सिवा;
कोई सुनता नहीं यहां खुदा के सिवा;
मैंने भी जिंदगी को बहुत करीब से देखा है;
मुश्किल में कोई साथ नहीं देता आंसुओं के सिवा।

हर ख़ुशी गम का ऐलान है;
हर मुलाक़ात जुदाई का ऐलान है;
ना रखा किसी से उम्मीद;
हर उम्मीद दिल टूटने का फरमान है।

जलते हुए दिल को और मत जलाना;
रोती हुई आँखों को और मत रुलाना;
आपकी जुदाई में हम पहले ही मर चुके हैं;
मरे हुए इंसान को और मत मारना।

मुझे उसके पहलु में आशियाना ना मिला;
उसकी जुल्फों की छाओं में ठिकाना ना मिला;
कह दिया उसने मुझको बेवफ़ा;
जब मुझको छोड़ने का उसे कोई बहाना ना मिला।
अर्ज़ किया है:
इतना कमजोर हो गए तेरी जुदाई में;
इतना कमजोर हो गए तेरी जुदाई में;
कि अब तो चींटी भी खींच ले जाती है चारपाई से।

बेताब तमन्नाओं की कसक रहने दो;
मंजिल को पाने की कसक रहने दो;
आप चाहे रहो नजर से दूर;
पर मेरी आँखों में एक झलक रहने दो।

बता मुझे ये तेरी तनहाई कैसी है;
समझकर प्यार सारा फिर भी रुसवाई कैसी है;
हमें और भी मजबूर कर दिया है तूने;
तू बता तो सही ये तेरी तनहाई कैसी है?

तुम ना समझोगे इस तन्हाई के मायने;
पूछना है तो शाख से टूटे पत्ते से पूछो क्या है जुदाई;
यूँ ना कह दो बेवफा हमें;
यह पूछो कि किस वक़्त तेरी याद नहीं आई।
ज़माना बन जाए कागज़ का;
और समंदर हो जाए स्याही का;
फिर भी कलम लिख नहीं सकती;
दर्द तेरी जुदाई का।