सच और वहम में क्या फ़र्क है?
सरकार कॉलर ट्यून के माध्यम से कोरोना की बातें हमें सुनाती है - ये सच है!
और हम सब सुन रहे हैं ये सरकार का वहम है!
सुखी होने के बहुत से रास्ते हैं पर औरों से ज़्यादा सुखी होने का कोई रास्ता नहीं है!
जलने वालों की दुआ से ही सारी बरकत है;
वरना अपना कहने वाले लोग तो याद भी नहीं करते!
ज़िंदगी की तपिश को सहन कीजिये जनाब,
अक्सर वे पौधे मुरझा जाते हैं, जिनकी परवरिश छाया में होती हैं!
आपकी बचकानी हरकतें ही आपको जिंदा-दिल रखती है...
वरना...समझदारी का दूसरा नाम बुढापा है!
कोरोना मोहब्बत की तरह है, आपको पता भी नहीं चलेगा कब हो गया!
बचपन की यादें:
बचपन में पेन की रिफिल खरीदकर लाते थे!
पहली बार थोड़ी से काटकर पेन में डालते थे, जब ज्यादा कट जाती थी, पीछे कागज़ डालते थे!
इस दुनिया का कोई "रंग" नहीं, कोई "ढंग" नहीं!
पैसा पास हैं तो सब कुछ हैं, वरना कोई "संग" नहीं!
बेशक पलट के देखो वह बीता हुआ कल है;
पर बढ़ना तो उधर ही है जहाँ आने वाला कल है।
बचपन में भाई बहन दिन में 5 बार नाराज़ होते थे और राज़ी हो जाते थे!
अब बड़े होकर एक बार नाराज़ हो जायें तो फिर शायद सीधे जनाज़े पर मिलते हैं!