सतगुरु अपनी वाणी से परमात्मा का सन्देश;
दर्शन से परमात्मा की अनुभूति;
और आशीर्वाद से परमात्मा की कृपाओं का अमृत बरसाते हैं।

प्रार्थना ऐसी करनी चाहिए जैसा कि;
सब कुछ ईश्वर पर ही निर्भर है;
और काम ऐसे करने चाहिए जैसे;
कि सब कुछ हम पर निर्भर है।

जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते;
तब तक आप भगवान पर भी विश्वास नहीं कर सकते।
जो पुण्य करता है वह देवता बन जाता है;
जो पाप करता है वह पशु बन जाता है;
किन्तु जो प्रेम करता है वह आदमी बन जाता है।
पवन पुत्र श्री हनुमान की जय;
मेरे तन में राम हैं;
मेरे रोम रोम में राम हैं;
मेरे मन में भी;
राम का ही नाम है।

तेज स्वर में की गई प्रार्थना, ईश्वर तक पहुंचे यह आवश्यक नहीं, किन्तु सच्चे मन से की गई प्रार्थना, जो भले ही मौन रह कर की गई हो; वह प्रार्थना ईश्वर तक अवश्य पहुंचती है।

मनुष्य अपने विश्वास में निर्मित होता है;
जैसा वह विश्वास करता है, वह वैसा बन जाता है!
'खुशियाँ' चंदन की तरह होती हैं दूसरे के माथे पर लगाओ फिर भी अपनी उँगलियाँ खुद ही महक जाती हैं।

ईश्वर से कुछ मांगने पर न मिले तो उससे नाराज मत होना;
क्योंकि;
ईश्वर वह नहीं देता जो आपको अच्छा लगता है;
बल्कि वह देता है जो आपके लिए अच्छा होता है।

प्यार और विश्वास को हो सके तो कभी ना खोयें;
क्योंकि प्यार हर किसी से होता नहीं;
और;
विश्वास हर किसी पे होता नहीं;
ये दोनों ही जीवन के बहुमूल्य तथ्य हैं।