
मंजिल पर पहुँचना है तो राह के काँटों से मत घबराना,
क्योंकि काँटे ही तो बढ़ा देते हैं रफ़्तार क़दमों की।

यह ज़माना क्या सतायेगा हमको;
इसको हम सताकर दिखलायेंगे;
यह ज़माना क्या झुकायेगा हमको;
इसको हम झुका कर दिखलायेंगे।

दीपक तो अँधेरे में जला करते हैं;
फूल तो काँटो में खिला करते हैं;
थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर;
हीरे अक्सर कोयले में ही मिला करते हैं।

हर जलते दिये तले अँधेरा होता है;
हर रात के पीछे एक सवेरा होता है;
लोग डर जाते हैं मुश्किलों को देख कर;
पर हर मुश्किल के पीछे सफलता का सवेरा होता है।

मंजिल इंसान के हौंसले आज़माती है;
सपनों के परदे आँखों से हटाती है;
किसी भी बात से हिम्मत से ना हारना;
ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है।

उम्मीदों की कश्ती को डुबोया नहीं करते;
मंज़िल हो अगर दूर तो रोया नहीं करते;
रखते हैं जो दिल में उम्मीद कुछ पाने की;
वो लोग जीवन में कुछ खोया नहीं करते।

पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादों को,
उनके मुक़द्दर के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते।

क्यों तेरा सपना पूरा नहीं होता;
हिम्मत वालों का इरादा नहीं अधूरा होता;
जिस इंसान के होते हैं कर्म अच्छे;
उस के जीवन में कभी अँधेरा नहीं होता।

कमजोर होते हैं वो लोग जो शिकवा किया करते हैं;
उगने वाले तो पत्थर का सीना चीर कर भी उगा करते हैं।

रहने दे आसमान ज़मीन की तलाश कर;
सब कुछ यहीं है, ना कहीं और तलाश कर;
हर आरजू पूरी हो तो जीने का क्या मज़ा;
जीने के लिए बस वजह की तलाश कर।