कदम कदम पर बहारों ने साथ छोड़ दिया;
पड़ा जब वक़्त तो अपनों ने साथ छोड़ दिया;
कसम खाई थी इन सितारों ने साथ देने की;
सुबह होते ही सितारों ने भी साथ छोड़ दिया!
शुभ दिवस!

कितनी प्यारी सी सुबह है;
हर पल किरणों से सजा है;
सूरज का नया सा अंदाज़ हो गया है;
उठो, रहमतों का आग़ाज़ हो गया है!
शुभ दिवस!

वादियों से सूरज निकल आया है;
फिजाओं में नया रंग छाया है;
खामोश क्यों हो, अब तो मुस्कुराओ;
आपकी मुस्कान को ही देखने;
तो ये सूरज निकल आया है!
शुभ दिवस!

आपका 'मुस्कुराना' हर रोज़ हो;
कभी चेहरा 'कमल' तो कभी 'रोस' हो;
100 पल 'ख़ुशी', 1000 पल 'मोज' हो;
बस ऐसा ही दिन आपका हर `रोज़` हो!
शुभ दिवस!

थकानपुर से फ्रेशनगर तक आने वाली "निंदिया एक्सप्रेस" प्रभात नगर पहुँच चुकी है!
यात्रियों से अनुरोध है कि वो अपने हसीन सपनों से जाग जाए!
शुभ दिवस!

चाय के कप से उठते धुंए में तेरी शक्ल नज़र आती है;
तेरे ख्यालों में खोकर अक्सर मेरी चाय ठंडी हो जाती है!
शुभ दिवस!

सुबह काफी हो चुकी है, अब चिराघ बुझा दीजिये;
एक हसीं दिन राह देखता है आपकी;
बस पलकों के परदे उठा लीजिये!
शुभ दिवस!

सुबह सुबह ज़िन्दगी कि शुरुआत होती है;
किसी अपने से बात हो तो खास होती है;
हंस के प्यार से अपनों को शुभ दिवस बोलो तो;
खुशियाँ अपने आप साथ होती हैं!
शुभ दिवस

रात के बाद सुबह को आना ही था;
गम के बाद खुशी को आना ही था;
क्या हुआ अगर हम देर तक सोते रहे;
पर हमारा शुभ दिवस मैसेज तो आना ही था!
शुभ दिवस!

सुबह काफी हो चुकी है;
अब चिराघ बुझा दीजिये!
एक हसीं दिन राह देखता है आपकी;
बस! पलकों के परदे उठा लीजिये!
शुभ दिवस!