चाँद जब निकलता है तो तेरा गुमां होता है;
इस कदर दिल फरेब समय होता है;
हम तेरी याद में खोए रहते हैं;
नींद में जब सारा जहां होता है।
शुभ रात्रि!

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सोती हुई आँखों को सलाम हमारा;
मीठे सुनहरे सपनों को आदाब हमारा;
दिल में रहे प्यार का एहसास सदा ज़िंदा;
आज की रात का यही पैग़ाम हमारा।
शुभ रात्रि!

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कभी सोचते हैं एक गुलाब भेज दें;
कभी चाहते हैं पूरा बाग़ भेज दें;
जा रहे हो अगर आप सोने को तो दिल करता है;
आपकी पलकों में प्यारा सा ख्वाब भेज दें।
शुभ रात्रि!

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आँखें भी मेरी पलकों से सवाल करती हैं;
हर वक़्त आपको ही याद करती हैं;
जब तक ना कह दें शुभ रात्रि आपको जालिम;
सोने से भी इंकार करती हैं।
शुभ रात्रि!

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याद आती है तो ज़रा खो जाते हैं;
आंसू आँखों में उतर आएं तो ज़रा रो लेते हैं;
नींद तो नहीं आती आँखों में लेकिन;
वो ख़्वाबों में आएंगे यही सोच कर सो लेते हैं।
शुभ रात्रि!

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मुझे भूल कर सोना, तेरी आदत ही बन गई है; ऐ दोस्त;
किसी दिन हम छोड़ कर चले गए तो सारी ज़िंदगी नींद नहीं आएगी।
शुभ रात्रि!

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काश कि तू चाँद और मैं सितारा होता;
आसमान में एक आशियाना हमारा होता;
लोग तुम्हे दूर से देखते;
नज़दीक़ से देखने का हक़ बस हमारा होता।
शुभ रात्रि!

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ऐसी हसीं आज बहारों की रात हैं;
एक चाँद आसमा पर है एक मेरे पास है;
देने वाले ने कोई कमी ना की;
किसको क्या मिला ये मुकद्दर की बात है।
शुभ रात्रि!

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ज़िंदगी एक रात है, जिस में ना जाने कितने ख्वाब हैं;
जो मिल गया वो अपना है, जो टुट गया वो सपना है।
शुभ रात्रि!

चाँद भी तो देखो तुम्हें तांक रहा हैं;
सितारे भी थमे थमे से लग रहे हैं;
जरा मुस्कुरा दो हम सब के लिए;
हम भी तो तुम्हें शुभ रात्रि कह रहें हैं।
शुभ रात्रि!

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