कोई भी क्रोधित हो सकता है- यह आसान है, लेकिन सही व्यक्ति से सही सीमा में सही समय पर और सही उद्देश्य के साथ सही तरीके से क्रोधित होना सभी के बस की बात नहीं है और यह आसान नहीं है।
क्रोध और हिंसा कभी भी महान राष्ट्र का निर्माण नहीं कर सकते हैं।
धैर्यवान आदमी के क्रोध से सावधान रहो।
गुस्सा हवा का वह झोंका है जो दिमाग के दिए को बुझा देता है।
जब क्रोध आये तो उसके परिणाम पर विचार करो।
क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात कहने के बजाय दूसरों के ह्रदय को ज्यादा दुखाता है।
क्रोध वह तेज़ाब है जो किसी भी चीज जिसपर वह डाला जाये, से ज्यादा उस पात्र को अधिक हानि पहुंचा सकता है जिसमें वह रखा है।
क्रोध के कारण की तुलना में उसके परिणाम कितने गंभीर होते हैं!
क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं।
हर बार जब आप क्रोधित होते हैं, तब आप अपनी ही प्रणाली में ज़हर घोलते हैं!