क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं कहता, वह केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है।
क्रोध कभी बिना कारण के नहीं होता और कभी-कभी यह एक अच्छे कारण के साथ होता है।
क्रोध में आपका मुँह आपके मन की तुलना में ज्यादा चलता है।
कभी भी यह मत भूलो कि किसी आदमी ने क्रोध में आपसे क्या कहा था।
गुस्सा कभी बिना कारण के नहीं होता और कभी-कभी यह एक अच्छे कारण के साथ होता है।
गुस्से में आपका मुँह आपके मन की तुलना में ज्यादा चलता है।
बुरे व्यक्ति पर क्रोध करने से पूर्व अपने पर ही क्रोध करना चाहिए।
क्रोध से ज्ञान का प्रकाश बुझ जाता है।
बुरे व्यक्ति पर क्रोध करने से पहले अपने पर ही क्रोध करना चाहिए।
गुस्से से ज्ञान का प्रकाश बुझ जाता है।