प्रसन्नता इस बात पर निर्भर करती है कि आप अपने जीवन के समीकरण को सकारात्मक और नकारात्मक अनुभवों तथा मनोवृत्तियों के बीच किस प्रकार से संतुलित करते हैं।
उस व्यक्ति के लिए सभी परिस्थितियां अच्छी हैं जो अपने भीतर खुशी संजो कर रखता है।
खुशी का वास्तविक रहस्य निम्नलिखित है: जीवन जीने और जीने देने का उत्साह, तथा अपने मन में यह स्पष्ट आभास कि झगड़ालू व्यक्ति होना एक अक्षम्य अपराध है।
अपनी खुशियों के प्रत्येक क्षण का आनन्द लें; ये वृद्धावस्था के लिए अच्छा सहारा साबित होते हैं।
आपके सिवाए आपकी खुशियों का नियंत्रण किसी ओर के पास नहीं है; इसलिए, आपके पास अपनी किसी भी स्थिति को परिवर्तन करने की शक्ति है।
खुशी का पहला उपाय - पिछली बातों पर बहुत अधिक विचार करने से बचें।
प्रसन्नता पहले से निर्मित कोई चीज़ नहीं है यह आप ही कर्मों से आती है।
प्रसन्नता और नैतिक कर्तव्य एक दूसरे से पूरी तरह से जुड़े हुए हैं।
प्रसन्नता बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती, यह हमारे मानसिक रवैया से संचालित होती है।
खुश रहने का मतलब यह नहीं कि सब कुछ उत्तम है। इसका मतलब है कि आपने कमियों से ऊपर उठने का निर्णय कर लिया है।