अप्रसन्नता का मुख कारण हालात नहीं होते बल्कि इसके प्रति हमारी सोच होती है।
ज्यादातर लोग खुश हैं क्योंकि वो अपनी सोच वैसी बना लेते हैं।
सच्चाई यह है कि मेरे लिए दोस्ती का हर क्षण वैसे ही पवित्र और अन्नंत है जैसे शादी।

दोस्त वही होता है जब वह उस समय साथ निभाता है जब सारी दुनिया साथ छोड़ जाती है।
अपने अंदर ख़ुशी ढूंढ़ना आसान नहीं है और कहीं और इसे ढूंढ़ना संभव नहीं है।
दोस्तों की असली मदद हमारी उतनी मदद नहीं करती जितना कि यह विश्वास कि वे जरूरत में हमारी मदद करेंगे।
सच्चे दोस्त मुश्किल से मिलते हैं, कठिनता से छूटते हैं और भुलाए नहीं भूलते हैं।
अपनी खुशियों के हर क्षण का आनन्द लें; ये वृद्धावस्था के लिए अच्छा सहारा साबित होते हैं।
खुशियाँ केवल स्वीकृति में ही मौजूद होती हैं।
अपने दुश्मनों से प्रेम करने की बजाये अपने दोस्तों को ज़रा ज्यादा ध्यान रखो।