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यदि आप अपने पाँव के अंगूठे को नहीं जानते तो भगवान को कैसे जान पायेंगे?

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मैं सबसे अन्धकार भरे दिनों में उम्मीद खोज लेता हूँ, और सबसे अच्छे दिनों पर ध्यान केन्द्रित करता हूँ। मैं ब्रह्माण्ड को आंकता नहीं हूँ।

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ईश्वर पर प्रश्न उठाना छोड़ो और उस पर भरोसा करना शुरू करो।

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जिस प्रकार जल कमल के पत्ते पर नहीं ठहरता है, उसी प्रकार मुक्त आत्मा के कर्म उससे नहीं चिपकते हैं।

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जैसे एक शमां बिना अग्नि के नहीं जल सकती, उसी तरह इंसान भी एक आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।

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प्रार्थना ईश्वर को नहीं बदलती, लेकिन यह उसे बदल देती है जो प्रार्थना करता है।

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लगातार पवित्र विचार करते रहे बुरे संस्कारो को दबाने के लिए एक मात्र समाधान यही है।

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कर्म योग वास्तव में एक सर्वोच्च रहस्य है।

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ईश्वर ने हमें जीवन का उपहार दिया है, ये हम पर निर्भर है कि हम स्वयं को अच्छी तरह जीने का तोहफा दें।

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जो श्रद्धा धर्म के लिए है वही विश्वास मानवीय संबंधों के लिए है। ये शुरूआती बिंदु है, ऐसी नींव जिस पर और अधिक निर्माण किया जा सकता है। जहाँ विश्वास है, वहाँ प्रेम फल-फूल सकता है।