
लगता था कि मैं करियर बनाना चाहता हूं, लेकिन सच तो यह है की मैं सिर्फ सैलरी चाहता हूं।

एक आदमी आम तौर पर अपने उसूलों के बजाय अपने पैसों के लिए ज्यादा चिंतित रहता है।

संपदा को जोड़-जोड़ कर रखने वाले को भला क्या पता कि दान में कितनी मिठास है।

एक अमीर आदमी कुछ नहीं हैं, वह पैसों के साथ सिर्फ एक गरीब है।

एक आकर्षक आय के मुकाबले एक स्थाई आय ज्यादा बेहतर है।

कुबेर भी अगर आय से ज्यादा व्यय करे, तो कंगाल हो जाता है।

व्यापार, इस आसानी से परिभाषित किया जा सकता है, कि यह दूसरों का पैसा है।

धन अच्छा सेवक है, परन्तु ख़राब स्वामी भी है।

एक बार सिकंदर से पूछा गया कि तुम धन क्यों एकत्र नहीं करते? उसका जवाब था कि इस डर से कि उसका रक्षक बनकर कहीं भ्रष्ट न हो जाऊं।

ये दौलत की देन है-अहंकार, दिखावा, आडंबर, अभिमान, निर्दयता।