
पहले पाच साल अपने बच्चे को प्यार से रखिये, फिर पांच साल डांट-डपट के, जब वे सोलह साल के हो जाये तो उनके साथ मित्र की तरह रहिये। फिर आपके व्यस्क बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र होंगे।

परिवार एक महत्वपूर्ण चीज नहीं है बल्कि, यह सबकुछ है।
एक बड़ी बहन एक दोस्त, रक्षक, एक श्रोता, षड्यंत्रकारी, एक काउंसलर हमारी ख़ुशी की हिस्सेदार और हमारे दुखों की दोस्त होती है।

एक मकान तब तक घर नहीं बन सकता जब तक उसमे दिमाग और शरीर दोनों के लिए भोजन और भभक ना हो।
बहनचारा ताकतवर होता है।

अन्य बातें हम को बदल सकती हैं, लेकिन हम शुरू और ख़त्म परिवार के साथ ही करते है।

आइये हम अपने आज का बलिदान कर दें ताकि हमारे बच्चों का कल बेहतर हो सके।

बहने एक ही माता-पिता को साझा करती है, लेकिन फिर भी ऐसा लगता है कि किसी दूसरे परिवार से है।

जब आप जीवन पर नजर डालते हैं तो सबसे बड़ी ख़ुशी परिवार की ख़ुशी ही होती है।

घर के समान कोई स्कूल नहीं, न ईमानदारी व सदाचारी माता-पिता के समान कोई अध्यापक है।