
एक ही पुत्र यदि विद्वान और अच्छे स्वभाव वाला हो तो उससे परिवार को ऐसी ही खुशी होती है, जिस प्रकार एक चन्द्रमा के उत्पन्न होने पर काली रात चांदनी से खिल उठती है।

खून से रिश्ते जुड़े होते है, और प्रेम से परिवार।

दादा-दादी और पोते-पोतियों की आपस में इतनी अच्छी क्यों पटती है, क्योंकि उनके दुश्मन एक ही होते है, माता-पिता।

जिस तरह सारा वन केवल एक ही पुष्प एवं सुगंध भरे वृक्ष से महक उठता है उसी तरह एक ही गुणवान पुत्र पूरे कुल का नाम बढ़ाता है।

आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपने घर परिवार की याद आती है।

स्वेटर और कपडे बच्चों द्वारा तब पहने जाते हैं जब माँ को ठण्ड लगती है।
वैटिकन सरोगेट मदर्स के खिलाफ है, अच्छा हुआ तब ये नियम नहीं था जब यीशु पैदा हुए थे।
यह मेरा देश है, यह तेरा देश है, यह छोटी सोच वाले लोगों की धारणाएं हैं, उदार व्यक्तियों के लिए तो पूरी दुनिया ही एक परिवार है।
पिता अगर चतुर है, तो बेटी चतुर होगी, माँ अगर चतुर है तो बेटा चतुर होगा।
एक परिवार में पिता का पद सबसे बेकार होता है, सभी का पेट पालने वाला, और सभी का दुश्मन।