यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें;
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो!
ज़िंदगी एक हादसा है और कैसा हादसा;
मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं!
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो;
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो!
ज़िंदगी क्या जो बसर हो चैन से;
दिल में थोड़ी सी तमन्ना चाहिए!
तू कहानी ही के पर्दे में भली लगती है;
ज़िंदगी तेरी हक़ीक़त नहीं देखी जाती!
जो गुज़ारी न जा सकी हम से;
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है!
मौत का भी इलाज हो शायद;
ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं!
बड़ी आरज़ू थी हम को नए ख़्वाब देखने की;
सो अब अपनी ज़िंदगी में नए ख़्वाब भर रहे हैं!
दर्द ऐसा है कि जी चाहे है जिंदा रहिए;
ज़िंदगी ऐसी कि मर जाने को जी चाहे है!
मैं हूँ हैरान ये सिलसिला क्या है;
आइना मुझ में ढूँढता क्या है!