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इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही;
मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही!

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एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के;
एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है!

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आज देखा है तुझ को देर के बाद;
आज का दिन गुज़र न जाए कहीं!

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मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे इजाज़त दो;
तुम्हारी तरह से कोई गले लगाए मुझे!

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वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर;
दिन गिने जाते थे इस दिन के लिए!

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आँखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमाँ हो;
नज़रों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है!

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यक़ीन बरसों का इम्कान कुछ दिनों का हूँ;
मैं तेरे शहर में मेहमान कुछ दिनों का हूँ!

*इम्कान: Possibility, Contingent, Existence

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इतनी मिलती है मेरी ग़ज़लों से सूरत तेरी;
लोग तुझ को मेरा महबूब समझते होंगे!

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हसीन तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ सा;
जो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे!

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इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद;
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता!

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