यादों में हमारी वो भी कभी खोए होंगे;
खुली आँखों से कभी वो भी सोए होंगे;
माना हँसना है अदा ग़म छुपाने की;
पर हँसते-हँसते कभी वो भी रोए होंगे।
हर एक मजार पर उदासी छाई है;
चाँद की रौशनी में भी कमी आई है;
अकेले अच्छे थे हम अपने आशियाने में;
जाने क्यों टूटकर आज फिर आपकी याद आई है।
तन्हा हो कभी तो मुझे ढूंढ लेना;
इस दुनियां से नहीं अपने दिल से पूछ लेना;
आपके आस पास ही कहीं रहते हैं हम;
यादों से नहीं तो साथ गुज़ारे लम्हों से पूछ लेना।
करूं न याद उसे मगर किस तरह भुलाऊं उसे;
ग़ज़ल बहाना करूं और गुनगुनाऊं उसे।
अकेला सा महसूस करो जब तन्हाई में;
याद मेरी आए जब जुदाई में;
महसूस करना तुम्हारे ही पास हूँ मैं;
जब चाहे मुझे देख लेना अपनी परछाई में।
यादें अक्सर होती हैं सताने के लिए;
कोई रूठ जाता है मनाने के लिए;
रिश्ते निभाना कोई मुश्किल तो नहीं;
बस दिलों में प्यार चाहिए उसे निभाने के लिए।
हमसे दूर होकर हमारे पास हो तुम;
हमारी सूनी ज़िंदगी की आस हो तुम;
कौन कहता है हमसे बिछड़ गए हो तुम;
हमारी यादों में हमारे साथ हो तुम।
वो चाँद है मगर आप से प्यारा तो नहीं;
परवाने का शमा के बिन गुजारा तो नहीं;
मेरे दिल ने सुनी है एक मीठी सी आवाज़;
कहीं आपने मुझे पुकारा तो नहीं।
सिर्फ देख के किसी को दिल की बात नहीं होती;
मुलाकात हो फिर भी कभी बरसात नहीं होती;
जानते है तुम कभी हमारे ना हो पाओगे;
फिर भी इस दिल में कभी रात नहीं होती।
ज़िक्र अक्सर तेरा ही आता हैं हर अफ़साने में;
तुझे जान से ज्यादा चाहा हमने ज़माने में;
तन्हाई में तेरा ही सहारा मिला;
नाकाम रहे तुझे अक्सर हम भुलाने में।



