दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया;
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया!
दिल धड़कने का सबब याद आया;
वो तेरी याद थी अब याद आया!
मैं उस को भूल गया हूँ वो मुझ को भूल गया;
तो फिर ये दिल पे क्यों दस्तक सी ना-गहानी हुई!
*ना-गहानी - आकस्मिक, इत्तिफ़ाक़ी, दैविक, गैवी
दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते;
याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते!
वही फिर मुझे याद आने लगे हैं;
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं!
मैं कई बरसों से तेरी जुस्तुजू करती रही;
इस सफ़र में आरज़ूओं का लहू करती रही!
फिर ये किस ने मुझे जगाया है;
फिर से ख़्वाबों में कौन आया है!
अभी कुछ दिन मुझे इस शहर में आवारा रहना है;
कि अब तक दिल को उस बस्ती की शामें याद आती हैं!
आज किसी की याद में हम जी भर कर रोए धोया घर;
आज हमारा घर लगता है कैसा उजला उजला घर!
बड़े पक्के हैं तेरे एहसास के धागे;
बिना बाँधे भी बंधे रहते हैं!