
तमन्नाओ से खेल रहा है दिल;
जीत मुमकिन नही, और हार मंजूर नही!

वो उम्र भर कहते रहे तुम्हारे सीने में दिल ही नहीं;
दिल का दौरा क्या पड़ा, ये दाग भी धुल गया!

ये शायरीयाँ कुछ और नहीं बेइंतहा इश्क है;
तड़प उनकी उठती है और दर्द लफ्जों में उतर आता है!

तुम मेरे हो ऐसी हम जिद नही करेंगे;
मगर हम तुम्हारे ही रहेंगे ये तो हम हक से कहेंगे!

न जाने कौन सा आसब दिल में बसता है,
के जो भी ठहरा वो आखिर मकान छोड़ गया!

कदम-कदम पे नया इम्तहान रखती है;
जिंदगी तू भी मेरा कितना ध्यान रखती है!

आज पी लेने दे साक़ी मुझे जी लेने दे;
कल मिरी रात ख़ुदा जाने कहाँ गुज़रेगी!

बारिश की तरह कोई बरसता रहे मुझ पर;
मिट्टी की तरह मैं भी महकती चली जाऊंगी!

अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल;
लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे!

पतझड़ की कहानियाँ सुना सुना के उदास ना कर,
नए मौसमों का पता बता, जो गुज़र गया सो गुज़र गया!