आते ही जो तुम मेरे गले लग गए वल्लाह; उस वक़्त तो इस गर्मी ने सब मात की गर्मी!
बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ी; बादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी!
धूप ने गुज़ारिश की; एक बूँद बारिश की!
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था; इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था!
ये धूप तो हर रुख़ से परेशान करेगी; क्यों ढूँढ रहे हो किसी दीवार का साया!
उसने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं; भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई!
किसने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी;
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी!
सर्दी में दिन सर्द मिला;
हर मौसम बेदर्द मिला!
ये बरसात भी उसी के प्यार की तरह है;
जब बरसती है तो दिल को ठंडक मिलती है!
ऐ मौसम ज़रा रेहम कर दिलों पर;
जरुरी नही हर मेहबूब अपने प्यार के साथ हो!